National Pension System: NPS में करना चाहते हैं निवेश, जानें क्या है टियर 1 अकाउंट, टैक्स में कितनी मिलेगी छूट
टियर 1 अकाउंट एनपीएस का बेसिक फॉर्म है. वहीं इसके कई प्रकार हैं जैसे एनपीएस (राज्य सरकार), एनपीएस (केंद्र सरकार), एनपीएस (कॉर्पोरेट) और एनपीएस (नागरिक).
टियर 1 अकाउंट एनपीएस का बेसिक फॉर्म है. (फाइल फोटो)
टियर 1 अकाउंट एनपीएस का बेसिक फॉर्म है. (फाइल फोटो)
National Pension System: आम तौर पर लोग अपने भविष्य को लेकर काफी तैयारी करते हैं, जिससे रिटायरमेंट के बाद उन्हें कोई आर्थिक परेशानी ना हो. रिटायरमेंट को लेकर केंद्र सरकार की कई स्कीम हैं. इनमें से एक है NPS, जो केंद्र की पेंशन की काफी पॉपुलर स्कीम है. इसमें इन्वेस्ट करनेवाले को टैक्स सेविंग और रिटायरमेंट प्लानिंग दोनों का फायदा मिलता है. यही नहीं इसमें निवेश करने पर इनकम टैक्स की धारा 80C के तहत छूट भी मिलती है. इसमें निवेश करने पर न सिर्फ आप रिटायर्मेंट की प्लानिंग कर सकते हैं बल्कि एक साल में 1,50,000 रुपये तक टैक्स भी बचा सकते हैं. इसकी सबसे खास बात यह है कि इसमें सरकारी के साथ ही निजी क्षेत्र के कर्मचारी भी निवेश कर सकते हैं.
कौन खोल सकता है अकाउंट
टियर 1 अकाउंट एनपीएस का बेसिक फॉर्म है. वहीं इसके कई प्रकार हैं जैसे एनपीएस (राज्य सरकार), एनपीएस (केंद्र सरकार), एनपीएस (कॉर्पोरेट) और एनपीएस (नागरिक). ये सब अलग-अलग तरीके से काम करते हैं लेकिन इनमें कुछ कानून सबके लिए कॉमन हैं. जिसकी भी उम्र 18 से 65 साल हो वह इसमें अपना खाता खोल सकता है. इसमें निवेश करने का मिनिमम अमाउंट सिर्फ 1000 रुपये है.
खासियत और टैक्स में छूट
इसमें निवेश करने पर सेक्शन 80CCD(1B) के तहत टैक्स में 50,000 रुपये का डिडक्शन मिलता है. वहीं कोई व्यक्ति अपनी एनपीएस में अपनी सैलरी के कॉन्ट्रीब्यूशन का 20 फीसदी तक टैक्स डिडक्शन के लिए क्लेम कर सकता है. खास बात ये है कि इसके तहत मिलने वाले रिटर्न को टैक्स से छूट मिलती है. निवेशक के रिटायर होने या 60 साल पूरा होते ही यह अकाउंट मैच्योर हो जाता है. मैच्योरिटी के बाद खाते में जमा हुई रकम का 60 फीसदी तक निकाल सकते हैं. जबकि बाकी 40 फीसदी का इस्तेमाल एन्यूटी प्लान खरीदने के लिए किया जाता है.
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पीपीएफ (पब्लिक प्रोविडेंट फंड), ईपीएफ (एम्प्लाई प्रोविडेंट फंड), वीपीएफ (वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड) की तरह एनपीएस में रिटर्न फिक्स्ड नहीं है. यह पूरी तरह बाजार पर निर्भर (Market driven) है और आपके फंड मैनेजर्स के प्रदर्शन पर निर्भर करता है. वहीं जिस एसेट मिक्स (Asset mix) का आप चुनाव करते हैं यह उस पर भी यह निर्भर करता है.
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03:19 PM IST